थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्ध जैसी स्थिति, सीमा पर भारी सैन्य तैनाती

दक्षिण-पूर्व एशिया में तनाव बढ़ रहा है क्योंकि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद के कारण युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. दोनों देशों ने विवादित सीमा क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरा है.

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Thailand-Cambodia dispute: दक्षिण-पूर्व एशिया में तनाव बढ़ रहा है क्योंकि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद के कारण युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. दोनों देशों ने विवादित सीमा क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरा है. 

सीमा पर बढ़ती सैन्य मौजूदगी

थाईलैंड के रक्षा मंत्री फुमथम वेचायाचाई ने शनिवार, 7 जून 2025 को एक बयान में कहा कि कंबोडिया द्वारा सैनिकों की संख्या बढ़ाने और बार-बार घुसपैठ की घटनाओं के जवाब में थाईलैंड ने अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत किया है. थाई सेना ने स्पष्ट किया कि कंबोडियाई सैनिकों और नागरिकों द्वारा थाई क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दूसरी ओर, कंबोडिया के प्रवक्ता माओ फाल्ला ने दावा किया कि उनके सैनिक नियमित गश्त पर थे, जब थाई पक्ष ने गोलीबारी शुरू की.

ऐतिहासिक विवाद का लंबा इतिहास

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद सदी से चला आ रहा है. खास तौर पर, प्रीह विहियर मंदिर क्षेत्र को लेकर 2008 में शुरू हुआ संघर्ष कई सालों तक चला, जिसमें कम से कम 12 लोगों की जान गई. 2013 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस क्षेत्र को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है. कंबोडिया ने हाल ही में चार विवादित क्षेत्रों को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की घोषणा की, जिसे थाईलैंड ने खारिज कर दिया.

शांति की कोशिशों पर संकट

28 मई की झड़प के बाद दोनों देशों ने सैन्य तैनाती बढ़ा दी है. कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने कहा कि उनका देश युद्ध नहीं चाहता, लेकिन संप्रभुता की रक्षा के लिए पीछे नहीं हटेगा. थाईलैंड ने भी "उच्च-स्तरीय सैन्य अभियान" की तैयारी की घोषणा की है.

इससे दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति प्रयासों को गहरा झटका लगा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है. दोनों देशों से संयम बरतने और द्विपक्षीय बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की जा रही है. क्या यह विवाद शांति से सुलझेगा, या युद्ध की ओर बढ़ेगा?