Trump tariffs: अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है. S&P ग्लोबल की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए व्यापार टैरिफ ने अमेरिकी कंपनियों पर इतना बड़ा आर्थिक बोझ डाल दिया है, जितना स्विट्जरलैंड जैसे समृद्ध देश की पूरी अर्थव्यवस्था के बराबर है. रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक अमेरिकी कंपनियों पर लगभग 1.2 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है, जबकि स्विट्जरलैंड की मौजूदा GDP लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर है.
इन कंपनियों का कुल अनुमानित खर्च
यह आंकड़ा दर्शाता है कि व्यापार टैरिफ का प्रभाव कितना गहरा और दूरगामी है. कंपनियों को अब अपने संचालन, उत्पादन और आय के सभी स्तरों पर दबाव झेलना पड़ रहा है. S&P ग्लोबल ने करीब 9,000 सार्वजनिक कंपनियों का विश्लेषण किया और पाया कि इन कंपनियों का कुल अनुमानित खर्च इस वर्ष 53 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. यह खर्च पिछले अनुमानों से काफी अधिक है और इसमें टैरिफ के साथ-साथ बढ़ती मजदूरी, ऊर्जा लागत और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए क्षेत्रों में निवेश का असर भी शामिल है.
इन बढ़ते खर्चों का सीधा प्रभाव कंपनियों की कमाई पर पड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार, वॉलमार्ट, अमेज़न और कॉस्टको जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों के मुनाफे में लगभग 907 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है. इससे कंपनियों को न सिर्फ अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ी है, बल्कि मुनाफे की भरपाई के लिए उत्पादों की कीमतें भी बढ़ानी पड़ी हैं.
महंगे सामान के रूप में पहुंचा
रिपोर्ट बताती है कि इन कंपनियों के कुल घाटे का करीब दो-तिहाई हिस्सा यानी लगभग 592 अरब डॉलर का बोझ ग्राहकों पर डाला गया है. यह बोझ उपभोक्ताओं तक महंगे सामान के रूप में पहुंचा है. बाकी एक-तिहाई घाटा (करीब 315 अरब डॉलर) कंपनियों ने खुद वहन किया है, जिससे उनके मुनाफे में कमी आई है.
टैरिफ के चलते कंपनियों का उत्पादन घटा है, लेकिन कीमतें बढ़ गई हैं. इससे स्थिति यह बन गई है कि उपभोक्ताओं को पहले की तुलना में कम उत्पाद, लेकिन अधिक कीमत पर खरीदने पड़ रहे हैं. इतना ही नहीं, यह असर सिर्फ सार्वजनिक कंपनियों तक सीमित नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, निजी और अनरजिस्टर्ड कंपनियों में भी करीब 278 अरब डॉलर का अतिरिक्त खर्च दर्ज किया गया है, जिससे कुल प्रभाव 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.
मध्यम वर्ग इस नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित
सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस नीतिगत असर का बोझ किस वर्ग पर पड़ रहा है. ट्रंप-युग में नियुक्त फेडरल गवर्नर क्रिस्टोफर वालर का मानना है कि इसका असर मुख्यतः अमीर वर्ग पर पड़ा है. हालांकि, कई अर्थशास्त्री जैसे क्रिस्टोफर हॉज का कहना है कि गरीब और मध्यम वर्ग इस नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, क्योंकि यह वर्ग अपनी आय का अधिकांश हिस्सा उपभोग वस्तुओं जैसे फर्नीचर, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू सामान पर खर्च करता है. इन सभी उत्पादों की कीमतें अब टैरिफ के कारण बढ़ चुकी हैं.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में टैरिफ नीति ने एक बार फिर यह बहस तेज कर दी है कि क्या व्यापारिक संरक्षणवाद वास्तव में राष्ट्रीय हित में है, या यह अंततः उपभोक्ताओं और कंपनियों दोनों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है.