Sheikh Hasina: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर पिछले साल देश में हुए जनांदोलन के दौरान 'मानवता के खिलाफ अपराध' के गंभीर आरोप लगाए हैं.
सुनियोजित हमले का आरोप
आईसीटी के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने रविवार को मुकदमे की शुरुआत में दावा किया कि शेख हसीना ने अपने शासन के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सुनियोजित, व्यापक और व्यवस्थित हमला किया. उन्होंने कहा कि साक्ष्यों की गहन जांच के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह एक समन्वित हमला था. इस्लाम ने आरोप लगाया कि हसीना ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अपनी सशस्त्र पार्टी के सदस्यों को आंदोलन को दबाने के लिए उकसाया.
हिंसक आंदोलन
पिछले साल 5 अगस्त को शेख हसीना का अवामी लीग के साथ 16 साल का शासन एक हिंसक जनआंदोलन में समाप्त हो गया. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की एक तथ्य-खोज समिति के अनुसार, इस आंदोलन में लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई. 77 वर्षीय हसीना वर्तमान में भारत में रह रही हैं और बांग्लादेश में उनके खिलाफ सामूहिक हत्याओं, मानवता के खिलाफ अपराध और जबरन गायब करने जैसे कई आरोपों में मामले दर्ज हैं.
हसीना का जवाब
पहली बार, बांग्लादेश के सरकारी चैनल बीटीवी को इस मामले की सुनवाई के प्रसारण की अनुमति दी गई. अभियोजकों ने वीडियो फुटेज, ऑडियो रिकॉर्डिंग, हसीना के फोन कॉल, हेलीकॉप्टर और ड्रोन गतिविधियों के दस्तावेज, और दमन के शिकार लोगों की गवाही जैसे सबूत जुटाए हैं.
इस्लाम ने जोर देकर कहा कि यह बदले की कार्रवाई नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक देश में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए कोई जगह न होने का सिद्धांत है. शेख हसीना ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज किया है. उल्लेखनीय है कि आईसीटी की स्थापना 2009 में हसीना ने ही की थी, ताकि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के अपराधों की जांच की जा सके.