Shahbaz Sharif: इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम में शरीफ ने भारत-पाक तनाव कम करने में ट्रंप की कथित भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि अमेरिका की मदद से दोनों देशों के बीच सीजफायर संभव हुआ, और अब वह भारत के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत चाहते हैं. पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जर्दारी ने भी ट्रंप की भूमिका की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी मध्यस्थता से शांति वार्ता को बल मिल सकता है.
भारत का रुख साफ
भारत ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है. भारत हमेशा से कश्मीर सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को नकारता रहा है. अमेरिका दौरे पर गई भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं, ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के साथ कोई बातचीत संभव नहीं.
थरूर ने कहा, “जब तक बंदूक तनी रहेगी, भारत बातचीत नहीं करेगा. पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है और फिर शांति की बात करता है, जो अस्वीकार्य है.” उन्होंने पाकिस्तान की ‘आतंकवाद का शिकार’ होने की दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह उनकी अपनी नीतियों का परिणाम है.
पाकिस्तान की दोहरी नीति
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने पाकिस्तान की शांति की बात को ‘शैतान द्वारा शास्त्रों का हवाला’ करार दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रोत्साहन देता है और फिर शांति की बात करता है, जो विश्वासघात है. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, जिसने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया.