ढाका में राष्ट्रीय फल मेला देखने गई बेकाबू भीड़ ने मचाई लूट, प्रशासन नाकाम

बांग्लादेश में इस समय कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. कभी अल्पसंख्यकों पर हमले होते हैं तो कभी सरकारी संपत्ति लूटी जाती है. ऐसा ही एक मामला ढाका से सामने आया है, जहां राष्ट्रीय फल मेला 2025 उस समय अराजकता का केंद्र बन गया जब बेकाबू भीड़ ने हमला कर दिया और मेले में रखे सभी फलों को लूट लिया.

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National Fruit Fair in Dhaka 2025: बांग्लादेश में इस समय कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. कभी अल्पसंख्यकों पर हमले होते हैं तो कभी सरकारी संपत्ति लूटी जाती है. ऐसा ही एक मामला ढाका से सामने आया है, जहां राष्ट्रीय फल मेला 2025 उस समय अराजकता का केंद्र बन गया जब बेकाबू भीड़ ने हमला कर दिया और मेले में रखे सभी फलों को लूट लिया. इस दौरान भगदड़ मच गई. इस दौरान पुलिस प्रशासन भी नाकाम रहा. कृषि मंत्रालय द्वारा फार्मगेट इलाके में आयोजित इस मेले का उद्देश्य स्थानीय फल उत्पादकों को प्रोत्साहित करना और उपभोक्ताओं को ताजे फलों की विविधता से रूबरू कराना था, लेकिन प्रशासन की लचर व्यवस्था के कारण यह आयोजन पूरी तरह से अव्यवस्थित हो गया.

मेले में अचानक भगदड़ 

मंगलवार को शुरू हुए इस मेले में हजारों लोग जुटे थे. शुरुआत में सबकुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन दोपहर होते-होते भीड़ ने स्टॉलों पर धावा बोल दिया. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछ असामाजिक तत्वों ने लूटपाट शुरू की, जिसके बाद स्थिति बेकाबू हो गई. मेले में मौजूद फल, जैसे आम, लीची, केला और अनानास, कुछ ही मिनटों में लूट लिए गए. कई स्टॉल ध्वस्त हो गए, और छोटे-मोटे विक्रेताओं को भारी नुकसान हुआ.

प्रशासन की नाकामी उजागर

कृषि मंत्रालय ने इस आयोजन के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम का दावा किया था, लेकिन घटनास्थल पर पर्याप्त पुलिस बल की अनुपस्थिति ने प्रशासन की पोल खोल दी. स्थानीय पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन तब तक भीड़ तितर-बितर हो चुकी थी. मेला आयोजकों ने इस घटना पर खेद जताया है और नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया है.

स्थानीय लोगों में आक्रोश

इस घटना ने एक बार फिर ढाका में बढ़ती अराजकता को उजागर किया है. स्थानीय निवासियों और विक्रेताओं ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है. कई लोगों ने इसे बांग्लादेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था का प्रतीक बताया है.

राष्ट्रीय फल मेला 2025, जो एक उत्सव के रूप में शुरू हुआ था, प्रशासनिक विफलता और सामाजिक अराजकता का प्रतीक बन गया. सरकार को ऐसी घटनाओं से सबक लेना होगा और भविष्य में बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा.