इटली में भी लागू हो गया योगी मॉडल, जानिए सुरक्षा बिल में क्या हैं नियम

इटली की सीनेट ने हाल ही में एक विवादास्पद सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी है, जो देश में प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम लागू करता है. यह विधेयक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ करने वाले प्रदर्शनों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान करता है.

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Italy security bill: इटली की सीनेट ने हाल ही में एक विवादास्पद सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी है, जो देश में प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम लागू करता है. यह विधेयक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ करने वाले प्रदर्शनों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान करता है.

इसके साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को व्यापक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिससे वे सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें. इस कदम ने देश में व्यापक बहस छेड़ दी है, जहां कुछ लोग इसे सुरक्षा के लिए जरूरी बता रहे हैं, तो कुछ इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं.

प्रदर्शनों पर सख्ती 

नए विधेयक के तहत, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या तोड़फोड़ करने वाले प्रदर्शनकारियों को कठोर दंड का सामना करना पड़ सकता है. इसमें लंबी जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान शामिल है. सरकार का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक स्थानों और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.

विशेष रूप से, उन प्रदर्शनों को निशाना बनाया गया है जो हिंसक हो जाते हैं और सार्वजनिक जीवन को बाधित करते हैं. विधेयक का उद्देश्य हिंसक गतिविधियों को रोकना और नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है.

कानून प्रवर्तन को व्यापक अधिकार

इस विधेयक के जरिए पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को व्यापक शक्तियां दी गई हैं. अब वे संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी, हिरासत और जांच के लिए पहले से कहीं अधिक स्वतंत्र होंगे. सरकार का तर्क है कि यह कदम कानून-व्यवस्था को मजबूत करने और हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए जरूरी है.

हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है कि इससे नागरिकों के अधिकारों का हनन हो सकता है और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को भी दबाया जा सकता है.

भविष्य की संभावनाएं

इस विधेयक ने इटली में राजनीतिक और सामाजिक बहस को तेज कर दिया है. समर्थकों का कहना है कि यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक जरूरी कदम है, जबकि आलोचक इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बता रहे हैं. आने वाले दिनों में इस विधेयक के प्रभाव और कार्यान्वयन पर सभी की नजर रहेगी.