अमेरिका की नीति में बड़ा बदलाव! भारत-रूस तेल सौदों पर क्यों उठ रहे सवाल?

पिछले कुछ वर्षों में भारत और रूस के बीच तेल व्यापार ने विश्व स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं. तीन साल पहले, अमेरिका ने भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखा जा सके.

Date Updated
फॉलो करें:

India-Russia oil deal: पिछले कुछ वर्षों में भारत और रूस के बीच तेल व्यापार ने विश्व स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं. तीन साल पहले, अमेरिका ने भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखा जा सके.

लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी है. इस बदलती नीति ने कई सवाल खड़े किए हैं, खासकर तब जब पूर्व अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की एक पुरानी टिप्पणी फिर से चर्चा में आई है.

एरिक गार्सेटी का वायरल बयान

2024 में अंतरराष्ट्रीय मामलों में विविधता पर आयोजित एक सम्मेलन में, गार्सेटी ने खुलासा किया था कि भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिकी नीति का हिस्सा था. उन्होंने कहा, “भारत ने रूसी तेल एक निश्चित मूल्य सीमा पर खरीदा क्योंकि हम चाहते थे कि कोई ऐसा करे.

यह नीति का डिज़ाइन था ताकि तेल की कीमतें नियंत्रित रहें.” यह बयान अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर यह अमेरिकी रणनीति थी, तो अब भारत पर टैरिफ की धमकी क्यों?

अमेरिका की नीति में बदलाव के कारण

यूक्रेन-रूस युद्ध की शुरुआत में, वैश्विक तेल आपूर्ति को स्थिर रखने के लिए अमेरिका ने भारत जैसे देशों को रूसी तेल खरीदने की अनुमति दी थी. लेकिन अब, भू-राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव और रूस पर पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव के कारण अमेरिका अपनी नीति बदल रहा है. ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत का रूस से तेल खरीदना मॉस्को को आर्थिक रूप से मज़बूत कर रहा है, जो यूक्रेन युद्ध में रूस की स्थिति को और सशक्त करता है.
 
भारत का कड़ा रुख

अमेरिकी दबाव के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपने तेल सौदों को जारी रखने का फैसला किया है. नई दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा. भारत का कहना है कि रूसी तेल की खरीदारी न केवल उसकी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करती है, बल्कि वैश्विक बाज़ार में तेल की कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद करती है.

भारत और अमेरिका के बीच यह तनाव भविष्य में और गहरा सकता है. एक तरफ, भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे रहा है, वहीं अमेरिका अपनी भू-राजनीतिक रणनीति को लागू करने की कोशिश में है. इस बदलते परिदृश्य में, भारत का रुख दृढ़ और स्वतंत्र बना हुआ है.