थाईलैंड-कंबोडिया के बीच युद्धविराम! मलेशिया में हुआ ऐतिहासिक सीजफायर का ऐलान

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए मलेशिया में एक ऐतिहासिक बिना शर्त युद्धविराम की घोषणा की गई है.

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Thailand-Cambodia ceasefire: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए मलेशिया में एक ऐतिहासिक बिना शर्त युद्धविराम की घोषणा की गई है. मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मेजबानी में दोनों देशों के नेताओं ने सोमवार को कुआलालंपुर में शांति वार्ता की, जिसके बाद यह फैसला लिया गया. यह युद्धविराम स्थानीय समयानुसार आधी रात से लागू होगा.

शिव मंदिर की भूमिका

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 900 किलोमीटर लंबी सीमा पर स्थित प्रीह विहार मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, लंबे समय से विवाद का केंद्र रहा है. 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना, लेकिन इसके आसपास का 4.6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अभी भी विवादित है.

25 जुलाई को कंबोडिया द्वारा थाई सैन्य ठिकानों पर कथित हमले के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया, जिसमें 16 थाई नागरिकों की मौत हुई. जवाब में, थाईलैंड ने अपने एफ-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिससे हिंसा और बढ़ गई. इस संघर्ष में 1,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए.

मलेशिया की मध्यस्थता 

मलेशिया की राजधानी में हुई उच्चस्तरीय बैठक में कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट और थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई ने हिस्सा लिया. मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने संयुक्त बयान में कहा, "दोनों देश तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम के लिए सहमत हुए हैं, जो क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम है." इस वार्ता से पहले कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्र में भी युद्धविराम की मांग की थी.

डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संघर्ष को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से फोन पर बातचीत की और चेतावनी दी कि यदि युद्ध जारी रहा तो अमेरिका उनके साथ व्यापार समझौते नहीं करेगा.

ट्रंप ने अपनी मध्यस्थता को भारत-पाकिस्तान और इजराइल-ईरान जैसे पिछले युद्धविरामों से जोड़ा, जिनमें उनकी भूमिका को सराहा गया था. यह युद्धविराम दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि स्थायी शांति के लिए द्विपक्षीय वार्ता और विश्वास-निर्माण के उपाय आवश्यक हैं.