4 महीने जेल और 3 साल आर्मी में..., कौन है ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो? जानें पूरी डिटेल 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो हाल ही में अपने भारत विरोधी बयानों के कारण सुर्खियों में हैं. उनके बयानों ने भारत में हलचल मचा दी है. नवारो ने रूस-यूक्रेन युद्ध को 'मोदी का युद्ध' करार दिया और भारत पर रूस से तेल खरीदकर इस संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

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Who is Peter Navaro: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो हाल ही में अपने भारत विरोधी बयानों के कारण सुर्खियों में हैं. उनके बयानों ने भारत में हलचल मचा दी है. नवारो ने रूस-यूक्रेन युद्ध को 'मोदी का युद्ध' करार दिया और भारत पर रूस से तेल खरीदकर इस संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

इसके अलावा, उन्होंने भारत को क्रेमलिन के लिए "मनी लॉन्ड्रिंग मशीन" तक कह डाला. आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं पीटर नवारो, जिनके बयानों ने भारत में विवाद खड़ा कर दिया है.

पीटर नवारो का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

पीटर केंट नवारो का जन्म 15 जुलाई, 1949 को अमेरिका के मैसाचुसेट्स, कैम्ब्रिज में हुआ था. उनके पिता अल्बर्ट अल नवारो एक पेशेवर संगीतकार थे, जबकि उनकी मां एवलिन लिटिलजॉन सैक्स फिफ्थ एवेन्यू में सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत थीं.

माता-पिता के तलाक के बाद नवारो अपने भाई के साथ मां के पास मैरीलैंड के बेथेस्डा में एक छोटे से अपार्टमेंट में रहने लगे. नवारो ने मैसाचुसेट्स की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप प्राप्त की और 1972 में स्नातक की उपाधि हासिल की. इसके बाद, उन्होंने 1973 से 1976 तक अमेरिकी शांति सेना (पीस कॉर्प्स) में थाईलैंड में तीन साल तक सेवा दी.

इस दौरान उन्होंने लाओस, दक्षिण कोरिया, जापान, भारत, म्यांमार और मलेशिया जैसे देशों की यात्रा की. पीस कॉर्प्स के बाद, नवारो ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जॉन एफ. कैनेडी स्कूल से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स और 1986 में अर्थशास्त्र में पीएचडी पूरी की.

एकेडमिक और प्रोफेशनल करियर

1989 में, नवारो कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के पॉल मेरेज स्कूल ऑफ बिजनेस में अर्थशास्त्र और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर बने. उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक पढ़ाया और ऊर्जा नीति, व्यापार, विनियमन-मुक्ति और कॉर्पोरेट व्यवहार पर शोध किया.

इस दौरान उनकी कई किताबें प्रकाशित हुईं, जिन्होंने उन्हें एक प्रख्यात अर्थशास्त्री और लेखक के रूप में स्थापित किया. उनकी सबसे चर्चित किताब "द कमिंग चाइना वॉर्स" (2006) में उन्होंने चीन के आर्थिक और सैन्य उदय को वैश्विक खतरे के रूप में चित्रित किया.

ट्रंप प्रशासन में भूमिका

पीटर नवारो 2016 से डोनाल्ड ट्रंप के साथ जुड़े हुए हैं. ट्रंप के पहले कार्यकाल में वे व्हाइट हाउस नेशनल ट्रेड काउंसिल के डायरेक्टर रहे. जनवरी 2025 से वे ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर के रूप में कार्यरत हैं. नवारो ने ट्रंप प्रशासन में व्यापार नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर चीन के खिलाफ कड़े व्यापारिक रुख के लिए.

हालांकि, उनके भारत विरोधी बयानों ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद को जन्म दिया है.विवाद और कानूनी मुश्किलेंनवारो का करियर विवादों से भी घिरा रहा. 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को पलटने की कोशिश के लिए उन पर 2022 में एक ग्रैंड जूरी ने कांग्रेस की अवमानना के दो मामलों में अभियोग लगाया. 2024 में, उन्हें चार महीने की जेल की सजा सुनाई गई, जिसके कारण वे कांग्रेस की अवमानना के आरोप में जेल जाने वाले पहले पूर्व व्हाइट हाउस अधिकारी बने.

भारत के खिलाफ विवादित बयान 

28 अगस्त को नवारो ने रूस-यूक्रेन युद्ध को "मोदी का युद्ध" कहकर भारत पर निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि भारत रूस से तेल खरीदकर इस युद्ध को बढ़ावा दे रहा है. इसके बाद, 29 अगस्त को उन्होंने भारत पर टैरिफ लगाने की बात कही, ताकि रूस की युद्ध मशीन को वित्तीय सहायता रोकी जा सके.

31 अगस्त को उनके बयान और तीखे हो गए, जब उन्होंने भारत को क्रेमलिन की "मनी लॉन्ड्रिंग मशीन" करार दिया और भारतीय ब्राह्मणों पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया. ये बयान भारत में व्यापक आलोचना का कारण बने.

नवारो का विश्व के प्रति दृष्टिकोण

नवारो के बयान उनके व्यापार और आर्थिक नीतियों पर कट्टरवादी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं. उनकी किताबों और बयानों में वे वैश्विक व्यापार में असंतुलन को लेकर आलोचनात्मक रहे हैं. हालांकि, भारत जैसे देशों के खिलाफ उनके हालिया बयानों ने उनके दृष्टिकोण को और विवादास्पद बना दिया है.