गोरखपुर में सांप के काटने का अनोखा मामला, ठीक होने के बाद फिर शरीर में फैलने लगा जहर!

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक अनोखा मामला देखने को मिला. जिसमें बच्चे को सांप ने डंस लिया. हालांकि डॉक्टरों के बार इलाज करने के बाद बच्चा ठीक हो गया. लेकिन फिर बाद में बच्चे पर जहर का दोबारा असर दिखने लगा.

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Courtesy: Social Media

Second Venom Effect: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक सात साल के बच्चे को सांप के काटने के बाद न सिर्फ इलाज से ठीक किया गया, बल्कि आठ घंटे बाद दोबारा जहर फैलने पर डॉक्टरों ने उसकी जान बचाई. यह दुर्लभ घटना एम्स गोरखपुर के डॉक्टरों की मेहनत और विशेषज्ञता का नतीजा है. इस केस को इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में भी प्रकाशित किया गया है.

गोरखपुर के एक सात साल के बच्चे को कोबरा ने बाएं पैर में डस लिया. बच्चा बेहोश हो गया और उसकी सांसें थमने लगीं. परिजन उसे तुरंत एम्स गोरखपुर ले गए. डॉक्टरों ने देखा कि बच्चे की हालत बेहद नाजुक थी. उसे फौरन वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया. डॉक्टरों ने एट्रोपिन, नियोस्टिगमाइन और 10 वॉयल एंटी-वेनम इंजेक्शन दिए. करीब चार घंटे बाद बच्चे के खून में जहर का असर कम हुआ. रात करीब 12 बजे बच्चा होश में आया और बात करने लगा.

दुनिया के रेयर मामलों में शामिल

डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे के ठीक होने के दो घंटे बाद उसकी तबीयत फिर बिगड़ने लगी. आठ घंटे बाद जहर का असर दोबारा दिखाई दिया, जो पहले से ज्यादा खतरनाक था. बच्चे को फिर से वेंटिलेटर पर लाना पड़ा. डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया और अतिरिक्त एंटी-वेनम इंजेक्शन दिए. इस बार जहर का प्रभाव और भी गंभीर था, लेकिन डॉक्टरों की तत्परता से बच्चे की जान बच गई. तीन दिन के गहन इलाज के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो गया और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि सांप के काटने के बाद जहर का दोबारा असर होना विश्व में बहुत कम देखा गया है. यह गोरखपुर एम्स का पहला ऐसा मामला था. विशेषज्ञों के अनुसार, कोबरा का जहर शरीर में दोबारा सक्रिय होने की घटना बेहद दुर्लभ है. इस केस ने चिकित्सा जगत में नई चर्चा को जन्म दिया है. डॉक्टरों ने बताया कि सही समय पर इलाज और उचित दवाओं के कारण बच्चे को बचाना संभव हुआ.

डॉक्टरों ने की सराहना

इस जटिल मामले में सफलता के लिए एम्स के कार्यकारी निदेशक ने डॉक्टरों की टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह न केवल मेडिकल टीम की मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गोरखपुर एम्स गंभीर मामलों में भी बेहतर इलाज देने में सक्षम है. इस घटना ने स्थानीय लोगों में भी अस्पताल के प्रति भरोसा बढ़ाया है. गोरखपुर एम्स की इस उपलब्धि ने एक बार फिर साबित किया कि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी मरीजों की जान बचाई जा सकती है.