मेवाड़: चित्तौड़गढ़ के मेवाड़ क्षेत्र स्थित प्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलियाजी सेठ मंदिर में इस बार दान का नया इतिहास रच गया. मंदिर को मिले नकद, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और सोना-चांदी के दान ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ डालें. 19 नवंबर को भंडार खोले जाने के बाद लगातार छह राउंड तक गिनती हुई, जो गुरुवार को पूरी हुई.
अंतिम आंकड़ा सामने आने पर सभी हैरान रह गए कुल दान की राशि 51 करोड़ 27 लाख 30 हजार रुपए से भी अधिक दर्ज हुई. यह दान मंदिर में बढ़ती आस्था और भक्तों की गहरी श्रद्धा का उदाहरण बन गया है. इस बार सिर्फ नकद ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन माध्यमों से भी भारी चढ़ावा आया. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए 10 करोड़ 52 लाख 89 हजार 569 रुपए मिले, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है.
इसके अलावा सोना-चांदी का तौल भी किया गया जिसमें कुल 207 किलो 793 ग्राम चांदी और 1204 ग्राम 4 मिलीग्राम सोना प्राप्त हुआ. भंडार और भेंट कक्ष से अलग-अलग मात्रा में मिले ये कीमती धातुएं मंदिर की समृद्धि बढ़ाने वाली साबित हुईं. पहले राउंड में ही 12 करोड़ 35 लाख रुपए निकलना इस बात का संकेत था कि इस बार भंडार नया रिकॉर्ड बनाएगा. दूसरे राउंड में 8 करोड़ 54 लाख, तीसरे में 7 करोड़ 8 लाख 80 हजार और चौथे राउंड में 8 करोड़ 15 लाख 80 हजार रुपए मिले.
पांचवें राउंड तक पहुंचते-पहुंचते कुल राशि 40 करोड़ पार कर चुकी थी, जबकि अंतिम राउंड में 41 लाख 1 हजार 543 रुपए और जुड़े. मंदिर परिसर में सुबह से शाम तक भक्तों की भारी भीड़ लगी रही. नोटों, सिक्कों और पर्चियों की गिनती ट्रस्ट, प्रशासन और सुरक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में की गई ताकि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहे. भक्तों का कहना है कि सांवलियाजी में श्रद्धा लगातार बढ़ रही है और यही इस विशाल दान का मुख्य कारण है.
मंदिर का इतिहास भी उतना ही रोचक है. पहले यहां तीन मूर्तियों की पूजा सिर्फ चबूतरे पर होती थी. बाद में एक मूर्ति भादसोड़ा गांव और दूसरी मंडफिया लाई गई. एक मूर्ति पर मौजूद चरणचिह्न को भृगु ऋषि का माना जाता है. कथा है कि उन्होंने भगवान विष्णु के सीने पर लात मारकर परीक्षा ली थी, जिसकी विनम्र प्रतिक्रिया ने उन्हें विष्णु को सर्वोच्च देव मानने पर मजबूर कर दिया.