मान सरकार की ऐतिहासिक पहल! दिव्यांग बच्चों के जीवन में उम्मीद की नई किरण

Mann Government Disability Initiative: पंजाब की मान सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने न सिर्फ दिव्यांग बच्चों के जीवन को बदलने की दिशा दिखाई है, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम की है.

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Mann Government Disability Initiative: पंजाब की मान सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने न सिर्फ दिव्यांग बच्चों के जीवन को बदलने की दिशा दिखाई है, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम की है.

अगस्त 2025 में पंजाब किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत सांकेतिक भाषा दुभाषियों, अनुवादकों और विशेष शिक्षकों की नियुक्ति करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया. यह पहल उन बच्चों के लिए जीवनदान है, जिन्हें सुनने या बोलने में कठिनाई होती है और जो अक्सर न्याय और शिक्षा की प्रक्रिया में पीछे छूट जाते हैं.

खामोश दुनिया को मिली आवाज़

जब कोई बच्चा जन्म से ही सुनने या बोलने में असमर्थ होता है, तो उसका संसार सीमित दायरे में सिमट जाता है. उसकी आँखों में सवालों का समंदर होता है, लेकिन जुबान खामोश रहती है. अदालतों और कानूनी गलियारों में, जहाँ सिर्फ शब्दों का बोलबाला है, इन बच्चों के लिए अपनी बात कहना असंभव सा लगता है. मगर पंजाब सरकार ने उनकी इस खामोशी को अपनी प्राथमिकता बना लिया और उन्हें समाज में बराबरी का अधिकार दिलाने की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम उठाया.

तकनीक और संवेदना का संगम

मान सरकार ने इस पहल को केवल कानूनी सुधार तक सीमित नहीं रखा, बल्कि पटियाला में तकनीकी समाधान “साइन लिंगुआ फ्रैंका” (Sign Lingua Franca) विकसित करने का निर्णय लिया है. यह तकनीक बोले गए शब्दों को तुरंत सांकेतिक भाषा में परिवर्तित कर देती है. इससे लाखों मूक-बधिर लोगों को शिक्षा, संवाद और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
यह कदम यह दर्शाता है कि पंजाब सरकार केवल घोषणाएँ नहीं कर रही, बल्कि संवेदनशीलता और तकनीक को मिलाकर वास्तविक बदलाव ला रही है.

विधानसभा में सांकेतिक भाषा का उपयोग

पंजाब ने एक और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपनी विधानसभा की कार्यवाही को भी दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बना दिया है. राज्यपाल का अभिभाषण, बजट सत्र और अन्य अहम चर्चाएँ अब सांकेतिक भाषा में भी प्रसारित की जाती हैं. इससे सुनने में अक्षम लोगों को न केवल सरकार की नीतियों को समझने का मौका मिला, बल्कि अपनी राय रखने का भी अवसर प्राप्त हुआ.

सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने जानकारी दी कि यह पहल दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 40 के अनुरूप है, जिसके तहत दिव्यांगजनों को उनके मानवाधिकारों और नीतियों की जानकारी सुलभ माध्यमों से दी जानी चाहिए.

आत्मविश्वास और सम्मान का नया अध्याय

जब कोई बच्चा अपनी भावनाएँ व्यक्त कर पाता है और उसे समाज समझता है, तो उसका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है. पंजाब सरकार का यह कदम लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है. यह न सिर्फ दिव्यांग बच्चों को समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा महसूस कराता है, बल्कि उन्हें यह भरोसा भी दिलाता है कि उनकी भी एक पहचान और आवाज़ है, चाहे वह शब्दों में न हो.

भारत के लिए प्रेरणा

पंजाब की यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगी. यह दिखाती है कि यदि इच्छाशक्ति और संवेदना मिल जाएं, तो समाज के सबसे कमजोर तबकों को भी सशक्त बनाया जा सकता है. मान सरकार ने यह साबित किया है कि सच्चा विकास तभी संभव है, जब समाज का हर वर्ग अपनी ‘भाषा’ में खुद को अभिव्यक्त कर सके.

संवेदनशील शासन की पहचान

मान सरकार की पहल केवल प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक यात्रा है. यह यात्रा उस खामोश बच्चे को आवाज़ देने की है, जिसकी बातें अब तक दबकर रह जाती थीं. पंजाब ने साबित कर दिया है कि सरकार आंकड़ों से नहीं, बल्कि दिल और संवेदनशीलता से चलती है.

मान सरकार का यह ऐतिहासिक कदम सिर्फ पंजाब के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है. यह दिखाता है कि एक छोटी सी शुरुआत कैसे बड़े और सकारात्मक बदलाव का आधार बन सकती है. दिव्यांग बच्चों को सांकेतिक भाषा, तकनीकी सहायता और कानूनी अधिकार दिलाकर पंजाब ने एक मानवीय क्रांति की नींव रखी है. यह पहल हमें याद दिलाती है कि जब संवेदना और इच्छाशक्ति मिलती है, तो कोई भी दूरी असंभव नहीं होती.