Azam Khan released: उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचाने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान की रिहाई का बेसब्री से इंतजार हो रहा है. 23 महीने की जेल जीवन के बाद उनकी बरी होने की राह साफ हो चुकी है, लेकिन इससे पहले ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.
आजम के पुराने दोस्त और पूर्व सपा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने एक चौंकाने वाले बयान में पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. गोयल का दावा है कि सपा ने आजम परिवार को मुश्किल वक्त में कोई सहयोग नहीं दिया, जिससे आंतरिक कलह की आशंका बढ़ गई है.
सपा ने आजम परिवार को ठगा?
75 वर्षीय वीरेंद्र गोयल, जो कक्षा नौ से आजम खान के घनिष्ठ मित्र हैं, ने खुलासा किया कि लंबे समय तक भाजपा में रहने के बाद वे सपा में शामिल हुए और रामपुर के जिला अध्यक्ष भी बने. लेकिन अब पार्टी से उनकी नाराजगी चरम पर है. गोयल ने कहा, "सपा ने आजम परिवार का साथ नहीं निभाया. वकीलों की फीस तो परिवार खुद ही चुकाता रहा, पार्टी की ओर से कोई मदद नहीं मिली." उन्होंने दावा किया कि सपा नेता बिना किसी ठोस सहायता के प्रचार करते हैं कि वे आजम के लिए सब कुछ कर रहे हैं.
गोयल ने आगे कहा, "आजम खान पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे, भले ही कोई उनका साथ छोड़ दे. लेकिन यह झूठी मदद के दावे पार्टी की साख को धक्का पहुंचा रहे हैं."गोयल ने एक वकील से हुई बात का जिक्र करते हुए बताया, "हमने वकील से पूछा कि अगर सपा से मदद मिल रही है, तो परिवार से फीस क्यों लेते हो? वकील ने साफ कहा कि उन्हें कहीं से रखा ही नहीं गया. हम तो सिर्फ आपके केस लड़ रहे हैं. अखिलेश या पार्टी ने कभी वकील नियुक्त नहीं किए."
यह बयान सपा के लिए करारा प्रहार है, क्योंकि यह मुस्लिम वोटबैंक पर असर डाल सकता है. विश्लेषकों का मानना है कि अगर आजम खान जेल से बाहर आकर ऐसे आरोपों को बल देते हैं, तो सपा का रामपुर-मुरादाबाद क्षेत्र में प्रभाव कमजोर पड़ सकता है.
रामपुर में आजम का भव्य स्वागत
आजम खान की रिहाई पर रामपुर में उत्साह का माहौल है. गोयल ने बताया कि उनके समर्थक घरों में दीप जलाकर स्वागत करेंगे. लेकिन सवाल यह है कि क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद रामपुर पहुंचेंगे? गोयल ने कहा, "अखिलेश का आना-न आना देखना बाकी है. लेकिन आजम के समर्थक तैयार हैं." एक अन्य मामले में रिहाई में देरी के पीछे गोयल ने 2,500 रुपये का बकाया चालान बताया. उन्होंने कहा, "यह राशि जेल में ही जमा की जा सकती है. मैंने जेल अधिकारियों तक संदेश पहुंचा दिया है."
क्या बदलेगी यूपी की सियासी तस्वीर?
आजम खान यूपी के मुस्लिम समुदाय के प्रमुख चेहरे हैं. उनकी रिहाई से सपा को मजबूती मिल सकती है, लेकिन गोयल जैसे करीबियों के बयान पार्टी में दरार पैदा कर रहे हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि अगर आजम परिवार नाराजगी जाहिर करता है, तो यह बसपा या कांग्रेस जैसे दलों के लिए मौका बन सकता है. अखिलेश यादव ने अभी तक चुप्पी साध रखी है, लेकिन रामपुर से लौटने वाले संदेश सपा की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या यह बयान 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले सपा के लिए बड़ा संकट साबित होगा? आने वाले दिनों में सबकी नजरें आजम पर टिकी हैं.