BCCI to bring back Yo-Yo test: क्रिकेट भारत में सबसे ज्यादा खेले और देखे जाने वाले खेलों में से एक है. लेकिन पिछले कुछ समय से भारतीय टीम काफी परेशान नजर आ रही है. अगर पिछले कुछ मैचों के रिकॉर्ड की बात करें तो यह भारतीय टीम के पक्ष में नहीं रहा है. भारत ने पिछले साल टी20 विश्व कप जीता था, लेकिन उसके बाद वनडे और टेस्ट में टीम इंडिया के खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. जिसके चलते कप्तान रोहित शर्मा और हेड कोच गौतम गंभीर के साथ-साथ बीसीसीआई पर भी सवाल उठ रहे हैं. यही वजह है कि अब चयनकर्ता टीम में बदलाव करना चाहते हैं.
पहले ही हो गया रिव्यू मीटिंग
इसको लेकर मुंबई में एक समीक्षा बैठक भी हो चुकी है. सभी को उम्मीद है कि इसके बाद टीम के प्रदर्शन में काफी सुधार आने की उम्मीद है. इसको लेकर कई तरह के मंथन भी किए जा रहे हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो विराट कोहली की सख्त फिटनेस नीति को वापस लाने की बात चल रही है. जिसका कोच बनने से पहले गंभीर ने विरोध किया था.
विराट कोहली भारतीय क्रिकेटरों में अपनी बेहतरीन फिटनेस के लिए जाने जाते हैं. विराट जब कप्तान बने तो उन्होंने इसे पूरी टीम पर लागू किया. उस समय उनका एकमात्र लक्ष्य था कि सभी खिलाड़ी फिट हो जाएं. ओवरऑल प्रदर्शन की बात करें तो यो-यो टेस्ट लागू किया गया था. उस समय टीम में जगह पाने के लिए सभी खिलाड़ियों को यह टेस्ट पास करना जरूरी था. बीच में इस नीति को रोक दिया गया था, लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट की मानें तो बीसीसीआई अब एक बार फिर इस नियम को लागू करने जा रहा है.
गंभीर करेंगे विराट का समर्थन
इस रिपोर्ट के अनुसार, अब ज़्यादातर खिलाड़ी अपनी फिटनेस को लेकर काफ़ी सक्रिय हो गए हैं. यही वजह थी कि बीसीसीआई ने इसमें थोड़ी ढील दी थी और सभी का ध्यान अपनी चोटों पर केंद्रित कर दिया था. लेकिन इसके बाद कुछ खिलाड़ी लापरवाह होने लगे. इसी वजह से बोर्ड ने फिर से फिटनेस के लिए सख्त नियम और कानून बनाए हैं. अब बीसीसीआई जल्द ही एक फिटनेस मानक लागू करने जा रहा है.
आपको बता दे, गौतम गंभीर टीम इंडिया का हेड कोच बनने से पहले कोहली के यो यो टेस्ट के खिलाफ थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सभी खिलाड़ियों को उनके टैलेंट और स्किल्स के आधार पर टीम में सेलेक्ट करना चाहिए. उस दौरान उन्होंने सिर्फ यो यो टेस्ट के रिजल्ट पर सेलेक्शन का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि ये तरीका बिल्कुल भी सही नहीं है. अब इस नियम के दोबारा लागू होने के बाद देखना होगा कि क्या गंभीर इसका कैसे विरोध करेंगे.