Chess, World Champion: 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बनने वाले डी गुकेश ने स्वीकार किया है कि इस सफलता को संभालना उनके लिए आसान नहीं रहा. विक आन ज़ी में चल रहे 87वें टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट 2025 के दौरान गुकेश ने अपनी यात्रा और चुनौतियों पर खुलकर बात की. गुकेश ने डच आउटलेट NOS से कहा कि मुझे मानना होगा कि सफलता को संभालना आसान नहीं रहा. मैं थोड़ा भटक गया था, लेकिन मेरे आस-पास ऐसे लोग हैं जो मुझे ट्रैक पर वापस लाने में मदद करते हैं.
शतरंज को क्रिकेट जैसा ध्यान
गुकेश ने यह भी कहा कि भारत में शतरंज को अब क्रिकेट जैसा सम्मान और ध्यान मिल रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व चैंपियन का खिताब जीतना अच्छा है, लेकिन मुझे अभी लंबा सफर तय करना है. मैं बस अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने की कोशिश कर रहा हूं. वाइक आन ज़ी में वापस आकर सिर्फ शतरंज पर ध्यान केंद्रित करना अच्छा लग रहा है.
'मैं अभी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ नहीं'
हालांकि, विश्व चैंपियन बनने के बावजूद गुकेश खुद को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी नहीं मानते. उन्होंने कहा कि अभी नहीं. मेरी उम्र केवल 18 साल है, तो यह अपराध नहीं है कि मैं अभी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ नहीं हूं. लेकिन मैं खुद को साबित करने और बेहतर करने की कोशिश करता हूं. अभी मैग्नस कार्लसन सर्वश्रेष्ठ हैं.
शानदार शुरुआत
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे 18 की उम्र में नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं खुद को आदर्श नहीं मानता, लेकिन मुझे खुशी है कि कुछ लोग मेरी गेम्स से प्रेरित होते हैं. मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं और खुद को वही रखता हूं. गुकेश ने इस बार शतरंज का विम्बलडन कहे जाने वाले इस टूर्नामेंट में शानदार शुरुआत की है. आठ राउंड के बाद वे अभी तक अजेय हैं. उन्होंने 5.5/8 के स्कोर के साथ नोडिरबेक अब्दुसत्तोरोव और प्रज्ञानानंदा रमेशबाबू के साथ शीर्ष स्थान साझा किया है.