भगवान जगन्नाथ मंदिर से डरते थे अंग्रेज, जासूसी में सामने आए चौंकाने वाली बातें

30 जून 2025 को पुरी के श्री गुंडिचा मंदिर के पास रथ यात्रा के दौरान हुई भगदड़ में तीन लोगों की जान चली गई और 50 अन्य घायल हो गए. इसके बावजूद, हजारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन के लिए उमड़ पड़े.

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Jagannath Rath Yatra 2025: 30 जून 2025 को पुरी के श्री गुंडिचा मंदिर के पास रथ यात्रा के दौरान हुई भगदड़ में तीन लोगों की जान चली गई और 50 अन्य घायल हो गए. इसके बावजूद, हजारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन के लिए उमड़ पड़े.

यह रथ यात्रा, जो 27 जून से शुरू होकर 8 जुलाई तक चलेगी, भक्ति और आस्था का प्रतीक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1800 के दशक में अंग्रेज इस मंदिर और भगवान जगन्नाथ से भयभीत थे?

अंग्रेजों का डर 

पुरी का जगन्नाथ मंदिर अंग्रेजों के लिए सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली केंद्र था. लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ और मंदिर का प्रभाव उन्हें चिंतित करता था. सोशल मीडिया पर रणविजय सिंह ने बताया कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने मंदिर के रहस्यों का पता लगाने के लिए जासूस भेजे.

तीर्थयात्रियों के वेश में आए इन जासूसों का मकसद मंदिर का नक्शा बनाना और ब्रह्म तत्व के रहस्य को उजागर करना था. लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया.

लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग की रहस्यमयी डायरी

ब्रिटिश अधिकारी लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग ने अपनी गुप्त डायरी में मंदिर के गर्भगृह के सन्नाटे और भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की जीवंत आंखों का जिक्र किया. उन्होंने लिखा कि मूर्ति ऐसी प्रतीत होती थी मानो सांस ले रही हो. जासूसी के दौरान एक अधिकारी कथित तौर पर पागल हो गया, तो दूसरे को बुखार चढ़ गया. माना जाता है कि स्टर्लिंग की डायरी लंदन के एक संग्रहालय में सीलबंद है, जिसमें अंग्रेजों के खिलाफ कई खुलासे हैं.

अंग्रेज भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में मौजूद ब्रह्म तत्व को समझना चाहते थे, जिसे कुछ लोग श्रीकृष्ण का धड़कता हृदय और कुछ अंतरिक्षीय अवशेष मानते हैं. इस रहस्य ने अंग्रेजों को इतना भयभीत किया कि वे गर्भगृह में प्रवेश से कतराने लगे.