महाकुंभ में पवित्र स्नान के लिए संगम नोज पसंदीदा स्थान बना

संगम नोज, जहां विभिन्न अखाड़ों के संत और आध्यात्मिक नेता भी अपने अनुष्ठान स्नान करते हैं, यहां महाकुंभ के दौरान पवित्र स्नान के लिए पसंदीदा स्थान के रूप में उभरा है. सभी दिशाओं से आए श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान के लिए संगम तट को प्राथमिकता दी तथा पवित्र डुबकी लगाने के लिए वहां उमड़ पड़े.

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Courtesy: social media

Maha Kumbh : संगम नोज, जहां विभिन्न अखाड़ों के संत और आध्यात्मिक नेता भी अपने अनुष्ठान स्नान करते हैं, यहां महाकुंभ के दौरान पवित्र स्नान के लिए पसंदीदा स्थान के रूप में उभरा है. सभी दिशाओं से आए श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान के लिए संगम तट को प्राथमिकता दी तथा पवित्र डुबकी लगाने के लिए वहां उमड़ पड़े.

अधिकारियों ने यहां बताया कि संगम नोज पर संतों और श्रद्धालुओं का यह निर्बाध सह-अस्तित्व सिंचाई विभाग की यांत्रिक शाखा, यांत्रिक बैराज यांत्रिक अनुभाग अनुरक्षण, वाराणसी के अथक प्रयासों के कारण साकार हुआ.

उन्होंने बताया कि टीम ने शास्त्री ब्रिज और संगम नोज के बीच 26 हेक्टेयर भूमि का विस्तार किया, जिसमें से संगम नोज पर दो हेक्टेयर भूमि को केवल 85 दिनों में तीन शिफ्टों में चौबीसों घंटे काम करके जोड़ा गया.

उन्होंने कहा कि इस सावधानीपूर्वक योजना और क्रियान्वयन से संतों और भक्तों को अमृत स्नान के पवित्र अनुभव को सौहार्दपूर्ण ढंग से साझा करने का अवसर मिला, जिससे इस भव्य आध्यात्मिक आयोजन के लिए की गई असाधारण व्यवस्था पर प्रकाश पड़ा.

अधिकारियों ने बताया कि 1,650 मीटर के हिस्से पर रेत की बोरियां बिछाकर किए गए इस विस्तार से अस्थायी घाटों के निर्माण की अनुमति मिल गई, जिससे संगम क्षेत्र में एक साथ अधिक श्रद्धालुओं को स्नान करने का अवसर मिला.

टीम ने चार बड़ी ड्रेजिंग मशीनों का उपयोग करके रिकॉर्ड समय में यह कार्य पूरा किया. इस प्रयास से लाखों श्रद्धालुओं के लिए पवित्र स्थल की क्षमता और पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.

अधिकारियों ने बताया कि संगम नोज की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है, जिससे हर घंटे दो लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे - 2019 की तुलना में तीन गुना वृद्धि, जब क्षमता 50,000 प्रति घंटे थी.

ज़्यादातर श्रद्धालु संगम नोज पर स्नान करना पसंद करते हैं, क्योंकि देर रात से ही भीड़ जुटने लगती है. अनुमान है कि पीक टाइम के दौरान हर घंटे 3 लाख से ज़्यादा लोग संगम नोज पर स्नान करते हैं.

अधिकारियों ने बताया कि पौष पूर्णिमा के पहले स्नान पर्व 13 जनवरी को तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई और महाकुंभ के पहले अमृत स्नान 14 जनवरी को हुआ.

(इस खबर को सलाम हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)