दिल्ली ब्लास्ट की फंडिंग की जांच करेगी NIA-ED, अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर भी फॉरेंसिक जांच का आदेश, गृह मंत्री की हाई लेवल मीटिंग में बड़ा फैसला

दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए धमाके के बाद जांच अब और गहराई तक जाएगी. इस आतंकी हमले में फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की भूमिका की जांच के लिए अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य वित्तीय एजेंसियां भी शामिल की गई हैं.

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Delhi Blasts 2025: दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए धमाके के बाद जांच अब और गहराई तक जाएगी. इस आतंकी हमले में फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की भूमिका की जांच के लिए अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य वित्तीय एजेंसियां भी शामिल की गई हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को इस मामले को लेकर उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें गृह सचिव, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक, डीजी एनआईए और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. इसी बैठक में यह फैसला लिया गया कि ब्लास्ट की फंडिंग और संबंधित लेन-देन की हर कड़ी की गहन जांच की जाएगी.

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की फॉरेंसिक जांच का आदेश

बैठक में यह भी तय हुआ कि हरियाणा स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी की फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी. इस यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ नाम ब्लास्ट जांच में सामने आए हैं. सूत्रों के मुताबिक, एनआईए और ईडी मिलकर इस संस्थान से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों और ट्रांज़ेक्शनों की जांच करेंगी. ईडी को विशेष रूप से उन खातों और फंडिंग चैनलों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है, जिनसे आतंकी गतिविधियों को आर्थिक मदद मिलने की आशंका जताई जा रही है.

बताया जा रहा है कि डॉ. फारुक, जो फिलहाल यूपी के हापुड़ से हिरासत में हैं, ने एमबीबीएस अल-फलाह यूनिवर्सिटी से किया था. डॉ. फारुक वर्तमान में जीएस मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनसे एजेंसियां लगातार पूछताछ कर रही हैं ताकि उनके किसी नेटवर्क या फंडिंग लिंक का पता लगाया जा सके.

देशभर में फैली जांच की जड़ें

10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस हमले में 13 लोगों की मौत और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे. सरकार ने इस धमाके को आतंकी घटना मानते हुए कहा है कि यह देशविरोधी ताकतों की सुनियोजित साजिश थी. केंद्रीय कैबिनेट ने इस घटना की निंदा करते हुए पीड़ितों के प्रति शोक व्यक्त किया. बैठक में दो मिनट का मौन रखा गया और यह प्रस्ताव पारित किया गया कि इस हमले में शामिल हर व्यक्ति को जल्द से जल्द न्याय के कठघरे में लाया जाएगा.

आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर कसेगा शिकंजा

एनआईए और ईडी अब मिलकर यह पता लगाने की कोशिश करेंगी कि धमाके में इस्तेमाल धनराशि कहां से आई और किन माध्यमों से ट्रांसफर हुई.
जांच एजेंसियों का ध्यान अब फंडिंग के विदेशी लिंक, ऑनलाइन लेन-देन और संभावित हवाला नेटवर्क की ओर है. गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि इस मामले की जांच “बेहद पेशेवर और त्वरित तरीके से” की जाएगी ताकि साजिश के हर सूत्र तक पहुंचा जा सके.

दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच के दायरे के बढ़ने से अब यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार इस हमले को लेकर कोई समझौता नहीं करने वाली. फंडिंग की परतें खुलते ही कई नए नाम सामने आने की संभावना है, जिससे देशभर में फैले इस आतंकी नेटवर्क का असली चेहरा उजागर हो सकेगा.