Parliament winter session: संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है और इसकी शुरुआत से पहले ही राजनीतिक तापमान तेज़ हो गया है. विपक्ष जहां एसआईआर (Special Intensive Revision) समेत कई मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने सत्र को शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित तरीके से चलाने की अपील की है. उन्होंने साफ कहा कि बार-बार के हंगामों से जनहित के मुद्दे दब जाते हैं, इसलिए सत्ता और विपक्ष दोनों को राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर गंभीरता दिखानी चाहिए.
मायावती ने उठाए अहम जनसमस्याओं के मुद्दे
मायावती ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि हर सत्र की तरह इस सत्र को भी हंगामेदार बताया जा रहा है, लेकिन बसपा चाहती है कि बहसें सार्थक हों और देश के जरूरी मुद्दों पर खुलकर चर्चा हो. उन्होंने राजधानी दिल्ली समेत देश के कई भागों में बदतर होती वायु गुणवत्ता को सबसे बड़ा खतरा बताया. मायावती ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण आम लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है, ऐसे में संसद में इस पर ठोस रणनीति और समाधान पर बात होना आवश्यक है.
इसके साथ ही उन्होंने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण यानी एसआईआर प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए. मायावती ने कहा कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर संशोधन के दौरान कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें सामने आ रही हैं. इस कार्य से जुड़े बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) पर बढ़ते दबाव और उनमें से कुछ द्वारा की गई आत्महत्या की घटनाओं पर उन्होंने चिंता व्यक्त की और संसद में इस विषय पर विस्तृत चर्चा की जरूरत बताई.
एसआईआर पर टकराव तय
सत्र से पहले विपक्षी दलों ने संकेत दे दिए हैं कि एसआईआर प्रक्रिया उनके प्रमुख विरोध का मुद्दा रहेगा. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद राम गोपाल यादव ने स्पष्ट कह दिया है कि यदि सरकार एसआईआर पर चर्चा के लिए तैयार नहीं होती, तो विपक्ष संसद को चलने नहीं देगा. विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर प्रक्रिया में अनियमितताएं सामने आई हैं और लाखों मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए जाने या जोड़ने की शिकायतें बढ़ रही हैं.
मायावती ने की रचनात्मक राजनीति की अपील
विपक्ष एसआईआर के साथ ही हाल ही में दिल्ली में हुए धमाके, बढ़ते वायु प्रदूषण और अन्य जनसरोकार से जुड़े मामलों पर भी सरकार से जवाब मांगने की तैयारी में है. ऐसे में सत्र के सुचारू रूप से चलने को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है. बसपा प्रमुख ने अंत में कहा कि केवल आरोप-प्रत्यारोप से न तो संसद चल पाएगी और न ही जनता को किसी प्रकार का लाभ होगा. इसलिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को मिलकर रचनात्मक राजनीति का परिचय देना चाहिए ताकि संसद की उपयोगिता और गरिमा बनी रहे.