Operation Sindoor: भारत ने बुधवार तड़के ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों को पूरी तरह उचित ठहराया है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारतीय सेना द्वारा किए गए हमले के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है. इसकी पाकिस्तान से सांठगांठ स्पष्ट है.
मिस्री ने बताया कि खुफिया जानकारी और वैश्विक चिंताओं के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी जमीन से संचालित आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाने बनाकर अपनी छवि खराब की है.
मिस्री ने खुलासा किया कि भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को टीआरएफ की गतिविधियों की जानकारी दी थी, जिसमें इसके पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों के लिए मुखौटे की भूमिका पर जोर दिया गया. दिसंबर 2023 में भी भारत ने लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियों को उजागर किया था, जो टीआरएफ जैसे छोटे समूहों के जरिए काम करते हैं. उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान से टीआरएफ का जिक्र हटाने के लिए पाकिस्तान ने दबाव बनाया था. पहलगाम हमले की जांच में पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संचार नेटवर्क का पता चला. टीआरएफ के दावों को लश्कर के सोशल मीडिया हैंडल पर दोबारा पोस्ट किया गया, जो उनकी साजिश को उजागर करता है.
मिस्री ने कहा कि हमले का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव भड़काना था. खुफिया एजेंसियों को भविष्य में और हमलों की योजना की जानकारी मिली, जिसके चलते त्वरित सैन्य कार्रवाई जरूरी हो गई. उन्होंने कहा कि हमारी एजेंसियों ने भारत पर और हमलों की आशंका जताई, जिसे रोकने के लिए कार्रवाई अनिवार्य थी. 'ऑपरेशन सिंदूर' का बचाव करते हुए मिस्री ने कहा कि भारत ने आतंकी ढांचे को खत्म करने का अपना अधिकार इस्तेमाल किया. इस अभियान में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को निशाना बनाया गया. हमले से पहले उच्च-स्तरीय बैठकों और खुफिया विश्लेषण के बाद यह कदम उठाया गया.