जयपुर: राजस्थान के बूंदी जिले में पूर्व राजा और वीरता के प्रतीक माने जाने वाले राव सूरजमल की प्रतिमा तोड़े जाने के बाद प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. इस घटना पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने इसे “राजस्थान के गौरव पर हमला” बताते हुए कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया के 100 साल पुरानी प्रतिमा हटाना पूरी तरह गैरकानूनी है.
“राज्य सरकार ने सोची-समझी साजिश रची”
खाचरियावास ने कहा कि राव सूरजमल की प्रतिमा को बिना सूचना और बिना सहमति के हटाया जाना आम लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम भाजपा सरकार की “सोची-समझी साजिश” का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, “सरकार को किसी भी ऐतिहासिक प्रतिमा को हटाने का अधिकार नहीं है. यह राजस्थान की मर्यादा और इतिहास का अपमान है. भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण ही आज जनता आक्रोशित है.”
वीरता और स्वाभिमान का प्रतीक
कांग्रेस नेता ने कहा कि राव सूरजमल ने राजस्थान के इतिहास में वीरता, स्वाभिमान और बलिदान की अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने कई युद्धों में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया और बूंदी से लेकर पूरे क्षेत्र की शान बढ़ाई.
खाचरियावास के अनुसार, ऐसी प्रतिमाओं को तोड़ना न केवल ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचाना है, बल्कि उस सांस्कृतिक विरासत पर चोट है जिस पर पूरा राजस्थान गर्व करता है.
“प्रतिमा वहीं वापस लगाई जाए, वरना होगा जनाक्रोश”
पूर्व मंत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी कि राव सूरजमल की प्रतिमा को उसी पुराने स्थान पर पुनः स्थापित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो भाजपा सरकार को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है.
ओम बिरला और CM भजनलाल से मांगा भरोसा
साथ ही खाचरियावास ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मांग की कि वे आगे आकर सार्वजनिक रूप से यह भरोसा दिलाएं कि प्रतिमा को उसी स्थान पर वापस लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह कदम जनता के भरोसे और शांति के लिए जरूरी है.
लाठीचार्ज पर भी उठे सवाल
घटना के बाद पुलिस द्वारा प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज किए जाने पर भी खाचरियावास ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, “पहले प्रतिमा तोड़ी और फिर विरोध करने वालों पर लाठियां बरसाईं. यह किसी लोकतांत्रिक सरकार को शोभा नहीं देता.”
प्रतिमा विवाद के बाद बूंदी और आसपास के इलाकों में तनाव बढ़ा हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि राव सूरजमल उनकी पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और प्रतिमा हटाने का विरोध आने वाले दिनों में और भी तेज हो सकता है.