भूटान में पीएम मोदी ने किया कालचक्र अभिषेक का उद्घाटन, जानिए क्या है बौद्ध धर्म का यह अनुष्ठान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय भूटान यात्रा पर हैं. अपने दौरे के पहले दिन उन्होंने भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और पूर्व राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के साथ कालचक्र अभिषेक (Kalachakra Empowerment) समारोह का उद्घाटन किया.

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थिंपू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय भूटान यात्रा पर हैं. अपने दौरे के पहले दिन उन्होंने भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और पूर्व राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के साथ कालचक्र अभिषेक (Kalachakra Empowerment) समारोह का उद्घाटन किया.

यह समारोह वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव (Global Peace Prayer Festival) का प्रमुख हिस्सा है, जो भूटान की राजधानी थिंपू में आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, “वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो दुनिया को शांति, सद्भाव और आध्यात्मिक एकता का संदेश देता है.”

क्या है कालचक्र अभिषेक?

कालचक्र अभिषेक बौद्ध धर्म का एक अत्यंत पवित्र अनुष्ठान है, जिसे वज्रयान परंपरा में सर्वोच्च दीक्षा माना जाता है. इसका अर्थ है “समय का चक्र” या “समय का पहिया”. इस अनुष्ठान में बौद्ध गुरु अपने अनुयायियों को जीवन, ब्रह्मांड और आत्मिक ऊर्जा के गहरे संबंधों को समझाने की दीक्षा देते हैं.

कालचक्र अभिषेक का उद्देश्य मानव मन और ब्रह्मांड के बीच संतुलन स्थापित करना है. माना जाता है कि इससे व्यक्ति में करुणा, संयम और आत्मिक शक्ति का विकास होता है. दलाई लामा ने भी कई बार इस अनुष्ठान का नेतृत्व किया है, जिसे बौद्ध जगत में अत्यंत शुभ और दुर्लभ अवसर माना जाता है.

क्या है वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव?

यह महोत्सव हर वर्ष भूटान में आयोजित होने वाला एक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समारोह है. इस बार इसका आयोजन 4 नवंबर से 19 नवंबर 2025 तक किया जा रहा है. इसका उद्देश्य सभी बौद्ध परंपराओं थेरवाद, महायान और वज्रयान को एक मंच पर लाना है.

महोत्सव में विभिन्न देशों से आए बौद्ध भिक्षु, विद्वान और श्रद्धालु विश्व शांति और करुणा के संदेश को प्रसारित करते हैं. इसमें बुद्ध के उपदेशों, धरोहरों और अवशेषों का उल्लेख किया जाता है. भूटान के राजा खुद इस आयोजन की देखरेख करते हैं.

मोदी की यात्रा का कूटनीतिक महत्व

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि राजनयिक स्तर पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. भारत इस दौरे के माध्यम से भूटान के साथ अपने रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करना चाहता है. मोदी इस दौरान राजा के 70वें जन्मोत्सव में शामिल होंगे और साथ ही दोनों देशों के बीच कई ऊर्जा और हाइड्रोपावर परियोजनाओं पर समझौते होंगे. इनमें सबसे अहम है पुनाटसांगचू-2 हाइड्रो प्रोजेक्ट, जो भारत-भूटान के सहयोग का प्रतीक है और सामरिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है.