Varanasi flood: वाराणसी में गंगा और वरुणा नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि ने शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर दी है. गंगा का जलस्तर 72.06 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर है. इस आपदा ने न केवल तटवर्ती क्षेत्रों को प्रभावित किया है, बल्कि रिहायशी इलाकों में भी पानी प्रवेश कर चुका है.
वरुणा नदी के बढ़ते जलस्तर ने ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक तबाही मचाई है, जिससे हजारों लोग बेघर हो गए हैं. जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों को तेज कर दिया है, ताकि प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता प्रदान की जा सके.
53 गांव और 24 वार्ड प्रभावित
जिला प्रशासन के अनुसार, बाढ़ ने वाराणसी के 53 गांवों और 24 वार्डों व मोहल्लों को अपनी चपेट में लिया है. लगभग 1443 परिवारों के 6631 लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों और अन्य सुरक्षित स्थानों पर शरण ले चुके हैं. प्रशासन ने 46 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां प्रभावित लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें दिन-रात बचाव कार्यों में जुटी हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके.
1898 हेक्टेयर फसल बर्बाद
बाढ़ ने वाराणसी के किसानों को भी गहरी चोट पहुंचाई है. करीब 7037 किसानों की 1898 हेक्टेयर फसल जलमग्न हो चुकी है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है. प्रशासन ने प्रभावित किसानों को मुआवजा और सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
सबसे ज्यादा प्रभावित तटवर्ती क्षेत्र
गंगा के उफान ने सामनेघाट, अस्सी, नगवा, और गंगोत्री विहार जैसे तटवर्ती क्षेत्रों में पानी भर दिया है. वहीं, वरुणा नदी के किनारे बसे नक्की घाट, सलारपुर, कोनिया, और हुकूलगंज जैसे इलाकों में भी बाढ़ का पानी घरों तक पहुंच गया है. स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं.
जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावितों के लिए त्वरित कार्रवाई शुरू की है. राहत शिविरों में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ, एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें चौबीसों घंटे निगरानी कर रही हैं. प्रशासन ने लोगों से नदियों के किनारे न जाने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है.