भारत और अमेरिका ने साइबर अपराध और आतंकवाद के वित्तपोषण तथा हिंसक आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार संभालने से कुछ दिन पहले, बाइडन प्रशासन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया है.
भारत की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, शुक्रवार को वाशिंगटन में साइबर अपराध जांच पर हुए समझौते से दोनों देशों की संबंधित एजेंसियों को साइबर खतरे की खुफिया जानकारी और डिजिटल फोरेंसिक के संबंध में सहयोग बढ़ाने की अनुमति मिल गई है. पिछले कुछ दिनों में, निवर्तमान बाइडन प्रशासन द्वारा उठाया गया यह दूसरा ऐसा कदम है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों के और प्रगाढ़ होने को दर्शाता है.
अमेरिका ने बुधवार को तीन भारतीय परमाणु इकाइयों - भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर लगे प्रतिबंध हटा दिए. प्रतिबंध हटाने का उद्देश्य लगभग 16 साल पहले हुए ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को लागू करना है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार को वाशिंगटन डीसी में भारतीय राजदूत विनय क्वात्रा और गृह सुरक्षा मामलों की कार्यवाहक उप मंत्री (डीएचएस) क्रिस्टी कैनेगैलो ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए.
भारत की ओर से गृह मंत्रालय का ‘इंडियन साइबरक्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी)’ इस समझौते के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है. अमेरिका की ओर से, डीएचएस और उसकी घटक एजेंसियों--‘यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इन्फोर्समेंट’ और ‘होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन्स साइबर क्राइम सेंटर’ को समझौते को लागू करने का काम सौंपा गया है.
(इस खबर को सलाम हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)