सुमित्रानंदन पंत की खास उपलब्धियां

2025-12-28T11:55:00+05:30

प्रकृति के सुकुमार कवि

सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के छायावाद युग के प्रमुख स्तंभ थे. उन्हें 'प्रकृति के सुकुमार कवि' कहा जाता है क्योंकि उनकी रचनाओं में प्रकृति की कोमल सुंदरता प्रमुखता से झलकती है.

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जन्म और प्रारंभिक जीवन

पंत जी का जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी गांव में हुआ. जन्म के कुछ घंटों बाद ही मां का निधन हो गया. उनका पालन-पोषण दादी ने किया. बचपन से ही प्रकृति के बीच रहकर उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया.

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प्रमुख रचनाएं

उनकी प्रमुख काव्य संग्रह हैं - वीणा, पल्लव, गुंजन, ग्राम्या, चिदंबरा आदि. 'चिदंबरा' पर उन्हें 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला, जो हिंदी का पहला ज्ञानपीठ था.

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कविता - चींटी

'चींटी' उनकी प्रसिद्ध बाल कविता है, जो मेहनती चींटी की लगन और परिश्रम को दर्शाती है. यह कविता बच्चों को मेहनत का महत्व सिखाती है.

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कविता - मैं सबसे छोटी होऊँ

यह बाल कविता बचपन की मासूम इच्छाओं को व्यक्त करती है. बच्ची मां की गोद में सबसे छोटी रहना चाहती है, ताकि हमेशा उनका साथ मिले.

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कविता - ग्राम श्री

'ग्राम श्री' में ग्रामीण जीवन की सुंदरता और प्रकृति का उत्सव मनाया गया है. गांव की हरियाली, खेत और सरल जीवन का चित्रण मार्मिक है.

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कविता - पर्वत प्रदेश में पावस

यह कविता हिमालयी क्षेत्र में बारिश के मनोरम दृश्य का वर्णन करती है. बादल, वर्षा और पर्वतों की भव्यता को सुकुमार शब्दों में उकेरा गया है.

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