नवाब की तंगी से बनी ये बिरयानी?
Anubhaw Mani Tripathi
2025-01-29T11:55:00+05:30
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बिरयानी न सिर्फ पेट
बिरयानी न सिर्फ पेट, बल्कि दिल पर भी गहरा असर डालती है, और यही कारण है कि दुनियाभर में इसके लाखों प्रेमी हैं.
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एक अलग स्वाद
हर बिरयानी का अपना एक अलग स्वाद और कहानी है, जो दिलचस्प होती है.
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नवाब वाजिद अली शाह
एक ऐसी बिरयानी की कहानी है, जो नवाब वाजिद अली शाह की तंगी से पैदा हुई थी.
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बेदखल कर कोलकाता
1856 में ब्रिटिश सरकार ने नवाब साहब को लखनऊ से बेदखल कर कोलकाता भेज दिया.
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1 लाख रुपये तय किए
पेंशन के रूप में 1 लाख रुपये तय किए. लेकिन इससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई.
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गोश्त पकाने की नई तरकीब
बावर्चियों ने मसालों और चावल के साथ गोश्त पकाने की नई तरकीब अपनाई.
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मीट की मात्रा कम लगे
जिसमें आलू भी डाला गया, ताकि मीट की मात्रा कम लगे. यह बिरयानी नवाब साहब को बहुत पसंद आई.
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बिरयानी में आलू
तब से कोलकाता की बिरयानी में आलू डाला जाने लगा, जो आज सभी का पसंदीदा बन गया.
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